तुझे पाकर क्या पाया हैंबस अपने दिल को रुलाया हैंतेरी बेरुखी को अपनाया हैंउसमे अपना जीवन बिताया हैंतेरी बेवफ़ाईओ ने दियामुझे मेरे प्यार का सिलातेरी नफ़रतो से मिलामेरे दिल को हौसलातुझे अपने पास ना पाया हैबस अकेला ही खुद को पाया हैतुझे पाकर क्या पाया हैंबस अपने दिल को रुलाया हैतेरी आग मे मै जलीतुझे फरक ना पड़ने दियातेरी हर मुसीबत मे खड़े होकरतुझ पर शिकन ना आने दियामैने तेरी खुशियो से हीअपना घर सजाया हैतुझे पाकर क्या पाया हैंबस अपने दिल को रुलाया हैंबरखा रानी
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बहुत बढ़िया दर्द के भावों को उकेरा है आपने……
खूबसूरत
Nice ………,
khoobsurat virah rachana……………………..
ह्रदय की भावनाओ अच्छे शब्द दिए आपने …………एक सुझाव है आपके लिए यदि आप को बुरा ना लगे ………बेहतर होगा की आप एक बार में एक या दो ही रचनाये प्रकशित करे… इससे अधिक पढ़ा जा सकेगा !
बहुत ही खूबसूरत रचना……….
निवातिया जी ने बहुत ही अच्छा सुझाव दिया है
…………. बरखा जी….. एक एक करके रोज लिखिये
और हमसे जुड़े रहीये…… हा हा हा हा हा