विज्ञान और धर्म की ऐसी एक पहचान होविज्ञान ही धर्म हो और धर्म ही विज्ञान हो|आतंक हिंसा भेदभाव मिटें इस संसार सेएक नया युग बने रहे जहाँ सब प्यार से||विज्ञान जो है सिमट गया उसकी नयी पहचान होमेरा तो कहना है, कि हर आदमी इंशान हो||हर आदमी पढ़े बढ़े नये-2 अनुसंधान होउन्नति के रास्ते चले, पर सावधान हो||प्यार का संवाद समस्त विश्व के दरमियान होमहानता का वर्चस्व लिए विज्ञान ही महान हो||
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खूबसूरत सोच को प्रदर्शित करती अच्छी रचना !
बहुत खूबसूरत शुरआत से ही……ऐसा हो जाये तो हर कोई इंसान हो जाएगा…….
Bahut sundar rachna….
बहुत ही अच्छा विचार……… सुंदर रचना…..