धर दिव्य-देह मानव कापुरूषोत्तम बनना होगाजिस पथ पर श्रीराम चलेउस पथ पर चलना होगा
मायावी इस दुनिया मेंछल-प्रपंच और कपट भरेजनता शोषित पीड़ित हैबाधा इनकी कौन हरे
भेदभाव की खाई भरकरही आगे बढ़ना होगाजिस पथ पर श्रीराम चलेउस पथ पर चलना होगा
परिवर्तन की हवा बह रहीधुरी चक्र का बदल रहाउथल पुथल है मची हुईऋतु-चक्र भी बदल रहा
राष्ट्रधर्म ही एक धर्म होभाव यही रखना होगाजिस पथ पर श्रीराम चलेउस पथ पर चलना होगा
अन्तस की सारी कटुताभूल जो आगे आयेंगेसच्चे भारतवासी होने काहम भी गौरव पायेंगे
हमें राम बनकर दुष्टों कामूल दमन करना होगाजिस पथ पर श्रीराम चलेउस पथ पर चलना होगा
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satya kaha aapne…….behad sunder…..
Bahut sundar….
Ati Sundar ………………………!
सुंदर रचना….
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