काश वो नज़रो से नज़र ना मिलाती, या तो पलके गिरा जाती या आँखे चुरा जाती.. काश वो मेरे चलते कदमो से कदम ना मिलाती…या खुद पीछे रह जाती या मुझे छोड़ जाती… अगर वो थोड़ा पहले रुला जाती तो बात शायद यहाँ तक न आती…काश उसकी मासूमियत मेरे लबो पर न मुस्कुराती…अगर ये धक् धक् उसे महसूस करने से पहले ही रुक जाती…अगर वो दोस्ती वाले हथियार न चलाती…तो बात यहाँ तक न आती…काश वो जिंदगी में ही न आती.. अगर आती तो अजनबी बन ही रह जाती…अगर वो किस्मत की लकीरों पे मेहँदी किसी और के नाम की न लगाती…तो शायद ये अखियाँ इतना न रुलाती…काश वो जाते जाते कुछ कह जाती… अगर उसकी चुपी से पहले मेरी सांसे अलविदा कह जाती… तो आज ये तन्हाई यु बिलख बिलख के न रुलाती… शायद मेरी खुशिया इतनी दूर न जाती अगर वो पास ही रह जाती…By: Vinod Sihag
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सुंदर अभिव्यक्ति………………….!!
Thank you very much!
bhut khoob Vinod ji………..sundar…………..
Thank you madhu ji
khoobsoorat……………..
Thanks
बहुत खुबसूरत……………
Thank you Kajal ji