अपनी सफलता पर,मत करना ग़रूर कभी।न जाने कितनो के,त्याग या परिश्रम से,आज हो जहाँ,पहुंचे होगे वहाँ।अब जब कुछ बन गए हो,चाहे लोगों का हुजूम हो,चाहे चकाचोंध ज़िन्दगी हो,पर एक बात याद रखना,जब तुम कुछ नहीं थे,तब जो तुम्हारे साथ थे,उन्हें हमेशा याद रखना।अब भीड़, है तुम्हारे पास जो,जरूरी नहीं उनमे कोई खास हो।यह भीड़, नहीं है तुंम्हारे लिए,यह तो है, उस कुर्सी के लिए,जिसपे तुम आज बैठे हो,कल कोई और था वहाँ,कल कोई और होगा वहाँ।इससे भ्रमित मत होना कभी,अगर अभिमान लगे आने भी,वही तुम रोक लेना उसे तभी।इस सफलता को,विनम्र बन निभाते रहोगे जब तक,लोगो का विश्वास,तुम पर भी कायम रहेगा तब तक। अनु महेश्वरीचेन्नई
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bhut hi sundar bhav ko panktiyo me khoob piroya hai apne anu ji.
Thank You, Madhu ji….
Well said ………….
Thank You, Shishir ji….
satya kathan……………
Thank You, Sharmaji….
बहुत ही सही बात लिखा है आपने अनु जी।
Thank You, Vivek ji…
Very nice …………,
Thank You, Meena ji…
बहुत सुन्दर………. अनु जी….
Thank You, Kajal ji…
विनम्रता व्यक्तित्व की पहचान होती है ………बहुत सुन्दर रचनात्मकता !!
Thank You, Nivatiya ji…
Poem saying to ‘stay grounded’ very nicely.
Thank You, Vinod ji…
अच्छा चिंतन……बेहतरीन रचना।
Thank You, Ajay…
Very Nice ………………… Anu JI,
Thank you, Sarvajit ji…