कतराने लगे है लोग
अब तो किसी को पानी पिलाने से भी कतराने लगे है लोग ! क्या कहे सामूहिक भोज भी मुँह देख खिलाने लगे है लोग !!
दिखावे का चलन है यारो श्रद्धा में भी दिखावा नजर आता है ! अब तो कन्याओ को भी गिनती करके जिमाने लगे है लोग !!
ठाठ बात का दीवाना है जमाना, कहते है की शान से जीते है ! कर चार पूड़ियों का दान, मुहल्ले भर में गिनाने लगे है लोग !!
वैसे तो लगाते है पंडाल सड़क और चौराहो पर भोग के लिए जरा दुबारा कोई मांग ले तो, झड़प कर भगाने लगे है लोग !!
पुण्य कमाने के लिए, न अब दिल है, ना पैसा, लोगो के पास अब तो बस वाहवाही लूटने के लिए धर्म निभाने लगे है लोग !!
रसूख देख बनाते है रिश्ते नाते, नियत और शराफत बेमानी है ! निजी जिंदगी में भी अमीरी गरीबी का फर्क दिखाने लगे है लोग !!
बुरा लगे तो माफ़ कीजियेगा दोस्तों, जो दीखता है बोलता हूँ सच्चाई पे “धर्म” की जमाने में, विरोध जताने लगे है लोग !!
!!!डी के. निवातिया
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bahot khoob……… 👍
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद RAKESH ARYAN
Bahut hi sundar rachna…sahi kaha aapne ….aksar log bas nam pane ke liye kuch bhi karne ko taiyar rahte…
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद ANU JI.
बहुत ही अच्छी रचना।
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद AJAY
Very true and beautifully expressed Nivatiya ji. Raises the current rot.
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद SHISHIR JI.
aaj ke wakt ka katu sty sir…….bahut badiya sir….
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद MANI .
Laajwaab kataaksh………hamein issue liye but lagta ki aisa hamaari kalam se kyoon nahin niklata….hahahaha
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद BABBU Ji….
Iss liye bura lagta likha tha kya bana diya mobile ne…galti mein galti maaf….hahaha
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद BABBU JI….ये हमारी खुशनसीबी है जो आप जैसे साहित्य प्रेमी का सानिध्य प्राप्त है
bhut sahi kaha apne….. nivatiya ji………..aese logo ki wajah se hi sahi log bhi bdnam hote hai.
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद MADHU JI.
बहुत बढ़िया ………………………………….. लाजवाब निवातिया जी !!
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद SARVJEET JI.
बहुत सही कहा निवातिया जी , दिखावे का जमाना है अक्सर ऐसा देखने को मिल ही जाता है ।
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद MEENA JI.
बहुत ही सुंदर……… हर पंक्ति मे सच्चाई है और वास्तविकता
भरी है निवातिया जी……….. बेहतरीन रचना……. ।
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद KAJAL
Aapne to bhandree Walloon ka pol hi khol rakha hai……wastavik jivan me humne v in chijo ko najdik se mahsus kiya hai….
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ह्रदयतल से धन्यवाद SHYAM