सो जा लाडो मेरी…इक राजकुमार आएगा…बिठा घोड़े पे दूर देस ले जाएगा….सो जा लाडो मेरी…कितना मधुर सा लगता है…सुनना….“साडा चिड़ियाँ दा चम्बा वे बाबुल असां उड़ जाना…साडी लंमी उडारी ए के मुड़ असां नईयों आणां…“बाबुल तेरा घर इस चिड़िया का रैन बसेरा है…ये चिड़िया इसको छोड़ अब उड़ जा रही है…और इतनी दूर जा रही है कि वापिस नहीं आएगी”नाज़ों से पाली को अपने हाथ से विदा किया…एक राजकुमार के संग….दर्द है जुदाई में पर एक मिठास है रिश्ते नए की…बेटी का घर बसने की….कितनी प्यारी सी चाहत है….बेटी की….माँ की…बाबुल की…”बहुत रोई होगी तड़पी होगी मरने से पहले…कैसे दरिंदे हैं जिन्होंने जला डाला बुरी तरह से”….एक विवाहिता के मृत शरीर को देख कर सब बोल रहे थे…चिड़िया को किसी ने बहुत दूर…..ऐसी जगह भेज दिया…जहां से वापिस न आ सके…बाबुल की चिड़िया….कैसे दरिंदे थे जिन्होंने जला डाला….दूसरों को गाली दे के हम धुल गए…पर आये कहाँ से वो…राजकुमार…दरिंदे….कहाँ से?….\/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)
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समाज में उपजी घृणित सोच के शिकार कुछ लालची और संवेदना विहीन इंसानी रूपी राक्षसों की कुटिल मानसिकता के कुकृत्य से ऐसे विभत्स मंजर का सामना करना पड़ता है ………मेरा भी दिन रात यही चिंतन होता है की हम कितनी भी विकास और प्रगति की बाते करे मगर हम जब तक विकसित या सभ्य नही कहलाये जा सकते जब तक समाज से संकीर्ण सोच को जड़ से न मिटाया जा सके .!!
आपकी समाज के चिंतन करने के लिये प्रश्नचिन्ह छोड़ती इस मार्मिक और संवेदनशील रचनात्मकता के लिये आपका तहदिल से स्वागत करता हूँ !!
सही कहा आपने….तहदिल आभार आपका…निवतियाजी….
Bahut hi sundar rachna Sharma ji…. Kuch muthhi Bhar logo ke liye yah kuritiya abhi bhi chali Aarahi hai. is rachna ki last line bahut hi achhi lagi. Yah prasnachinh hum sabhi ke liye hai sayad, samaj aakhir humse hi banta hai, in sab kuritiyo se ladne ke liye, sabko hi to aage aana hoga.
सही कहा आपने….तहदिल आभार आपका…Anuji….
In teen drashyon ke peeche ke manovigyaan ko samjahne ki aawashyaktaa hai.
सही कहा आपने….तहदिल आभार आपका…Madhukarji….
इन दृश्यों में आपने समाज में होने वाली कुरीतियों का दर्पण बाखुबी पेश किया है……….. आपकी गहन विचारशीलता को
नमन मेरा………..
तहदिल आभार आपका..Kaajalji….
“सिर्फ तीन दृश्य” बेहद मार्मिक ………. … , मन को व्यथित करने के साथ कुछ चिन्तन करने को प्रेरित करती रचना ।
तहदिल आभार आपका…Meenaji….
बेहद मार्मिक रचना।
तहदिल आभार आपका…Ajayji….
बहुत ही बढ़िया …………………………………… लाजवाब शर्मा जी !!
तहदिल आभार आपका…Sarvjitji…….
slam sir apko apki rachna ko…bhavnao ko…..bahut hi marmik rachna…….
तहदिल आभार आपका…Maniji…..
bhut marmik rachana sharma ji………jhakjhor diya… apne…..
मधुजी….जब कभी दृश्य ऐसा देखने को मिलता है तो क्या हाल होता है नहीं बता सकता मैं….जब की मेरा कुछ रिश्ता नहीं होता तब भी दर्द उठता है और जो ऐसा करते हैं…अपने रिश्तों के साथ कैसे करते हैं समझ नहीं पाया आज तक….मैं निवतियाजी की बात से सहमत हो…रात दिन हम को नींद नहीं आती देख… सुन के तो जो करते हैं वो इंसान हो ही नहीं सकते….