आ रही हैं याद सारी मुस्कराती हुईगेसुओं में छिपे चाँद-सी अकुलाती हुई। छिप रही हों ओस में जैसे कली सीझाँकती हों सपन में प्यारी छवि सीसुबह अलसायी अधखुली पंखुरियों सीचूमकर उड़ती हुई कुछ तितलियों सी सभी हैं याद मधुमास को सहलाती हुईअंगड़ाईयाँ लेती कुछ अलसायी हुईआ रही हैं याद सारी मुस्कराती हुई। सिराहने बैठ मृदु स्पर्श करती हुईचेतना का श्रंगार बस करती हुईहर बात प्रणय का मुखरित करती हुईकुलबुलाती याद उर में भरती हुई आ रही प्रेम बंधन में कसमसाती हुईबात सारी वो प्यार की लहलहाती हुईआ रही हैं याद सारी मुस्कराती हुई। आ गई हैं याद बन सब सुकुमारियाँसज उठी हैं अब प्रीत की हर क्यारियाँफूल, कली, मधु गंध से भरी डोलियाँसज चुकी हैं फुदकती हरेक डालियाँ जगा चुकी हैं मधुर स्मृतियाँ मुस्काती हुईदे चली हैं याद सारी खिलखिलाती हुईआ रही हैं याद सारी मुस्कराती हुई। गीत प्यारा गुनगुनाती थी जो कभीऔ भ्रमरों की सी बतियाती थी कभीयाद की वो झंकार फिर आने लगीगुदगुदाती हुई मन की बन रागिनी तृप्ति घट का चुम्बन आलिंगन लेती हुईआ गई हैं याद सब नवगीत गाती हुईआ रही हैं याद सारी मुस्कराती हुई। …. भूपेन्द्र कुमार दवे00000
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ati sundar………
Lovely creation ……..!
बहुत बहुत सुन्दर………….