इश्क़ बला क्या है
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तुमसे चाहत तो हमे भी बेपनाह हैमगर क्या करे जताने का अंदाज नही आता खुदा ही जाने ये इश्क़ बला क्या है, अहसास तो बहुत है मगर बताने का अंदाज नही आता .तुम ऐसे रच बस गये हो मुझ में, जिंदगी तो है तेरे बगैर, मगर ज़िंदा रहना नहीं आता . .!!
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— डी के निवातिया—
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Waahhhhhh…….behtareen andaaze byaan…..
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद BABBU JI.
Bahut Hi Lajawab Sir.
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद AJAY..!
Sundar Rachnaa………
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद SHISHIR JI..
बहुत ही बढ़िया …………………………………. लाजवाब निवातिया जी !!
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद SARVJEET JI…!
Bahut sundar….Nivatiya ji….
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद ANU Ji…..!
वाहहहहहहह निवातिया जी क्या बात कही है……
बहुत खुब…………….
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद KAJAL JI.
बहुत खूब …….., अति सुन्दर ……….,।
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद MEENA JI..
दिल को छू पंक्तिया …………….अप्रितम ……….शब्द विहीन हूँ प्रश्नाषा के लिये …….नमन आपको ।
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद SHYAM TIWARI
bahut hi sunder…..nivaatiya sir ji….
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद MANI.