मुझे तुम छोड़कर तन्हा कहाँ जाने लगे दिलबर |कभी हम थे तेरे ही अब किसे पाने लगे दिलबर ||किये वादे कभी मुझसे न छोड़ोगे अकेले तुम |भुला वादा किसे बातों में उलझाने लगे दिलबर ||मिलेंगे चेहरे तुम को हँसी दुनिया में कितने ही |ख़ुशी को छीनकर तुम मुझे रुलाने लगे दिलबर ||चले हो तुम चुराकर हसरतो को मेरी चुपके से |खता मेरी बता दो दूर क्यों जाने लगे दिलबर ||न खेलोगे कभी बालों से सवारियां बताओ तुम |वफ़ा की बात कर औरो को सहलाने लगे दिलबर ||लबो पर था कभी इक नाम मेरा ही सनम तेरे |कहो कुछ तो “मनी” क्यों दिल मेरा जलाने लगे दिलबर ||मनिंदर सिंह “मनी”
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Bahut hi sundar Gazal…. Maniji….
धन्यवाद अनु जी आपका बहुत बहुत
Bhadiya ghazal Maninder ………
तहे दिल आभार शिशिर जी आपका…….
बहुत ही बढ़िया …………………………………… मनी !!
तहे दिल धन्यवाद सर्वजीत सर जी आपका
bhut khoob likha apne ………………..gajab…. Mani ji…
बहुत बहुत धन्यवाद मधु जी आपका…..
bahut sundar…………
तहे दिल आभार आपका सी एम् शर्मा सर जी
क्या बात… आप तो गहरे गजलों में रम गये…. Very Very
Beautiful……
काजल जी आप सभी की वाह वाह ने रम ने के लिए प्रेरित कर दिया…..धन्यवाद आपका बहुत बहुत
बहुत अच्छा मनी जी ।
thanks ajay ji…..
Bahut khubsurat gazal Mani ji .
बहुत खूबसूरत …………आपके शेर अब बोलने लगे है ………….अति सुंदर !!