हृदय हमारा रचकर तूनेउफ् यह क्या से क्या कर डालाकोमल भाव भरे थे इसमेंकलश अश्रू से ही भर डाला। तूने तो सारा विष पीकर बूँदें इसमें छलका दी हैं धीरे धीरे मेरी काया कलुषित भावों से भर दी हैं मैं भक्ति-भाव कैसे उर केकूट कूटकर भर सकता हूँतूने तो कुछ बूँदों से हीयह विषमय पूरा कर डाला। सासें हैं फुफकार बनी-सी जहर उगलती हैं बस प्रतिक्षण और जहर से जहर सरीखे भाव उमड़ते हैं बस हर क्षण सोता हूँ ज्यों चिरनिद्रा में ऐसा है मुझको कर डालाहृदय हमारा रचकर तूनेउफ् यह क्या से क्या कर डाला। सोचूँ क्या अब तेरे जग की यह जग तो विषमय दिखता है हर फूलों की पंखुड़ियों पर तेरा विषरूप महकता है पलकों भीतर रचकर आँसूतूने पीड़ा को भी रच डालाहृदय हमारा रचकर तूनेउफ् यह क्या से क्या कर डाला। गरल भरे सब रक्त कणों से मेरी रग रग तप्त हुई है तन मन मेरा झुलस रहा है बुद्धि, शक्ति सब सुप्त हुई है तेरे नीले प्रकाश ने भीयह नभ तक नीला कर डालाहृदय हमारा रचकर तूनेउफ् यह क्या से क्या कर डाला। सत्यं शिवं सुन्दरं को भी कहते लब भी कँप जाते हैं और शिवालय जाकर भी अब शब्द मूक बन रह जाते हैं एक हृदय ही मिला हमें परवह भी कलुषित है कर डालाहृदय हमारा रचकर तूनेउफ् यह क्या से क्या कर डाला। प्राण हमारे तरस रहे हैं तुझे पूजना चाह रहे हैं रुँधे गले से मन की पीड़ा तुझे बताना चाह रहे हैं मेरे शिवमय इस जीवन कोसब भाव शून्य ही कर डालाहृदय हमारा रचकर तूनेउफ् यह क्या से क्या कर डाला। यह ले अपनी कलम तूलिका जो चाहे तू ही लिख, पढ़ ले पर विष के छींटों से मेरे मुक्त हृदय को फिर कर दे तू भोला है यही सुना थामुझमें फिर क्यूँ विष भर डालाहृदय हमारा रचकर तूनेउफ् यह क्या से क्या कर डाला। विष जो तूने कंठ धरा है तुझको मधुरस-सा लगता है पर उसका छींटा तो मुझको मृत्यु निमंत्रण-सा लगता है यही सोचकर मैंने भी अबमधुरस-सा जीवन तज डालाहृदय हमारा रचकर तूनेउफ् यह क्या से क्या कर डाला। …. भूपेन्द्र कुमार दवे 00000
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Nice write…………..
बेहद खूबसूरत मन की पीड़ा…..बस एक पंक्ति से मैं सहमत नहीं हूँ…”बूँदें इसमें छलका दी हैं”….
शिव साधना में शिव भक्त तन्मय होकर कल्पना करता है कि शिव द्वारा विषपान करते समय विष की कुछ बूँदें के छींटे उसके अपने हृदय पर छलक जाते हैं। इस कल्पना से वह तड़प उठता है और कह उठता है ….
Lovely creation ………………………..!!
बहुत ही सुंदर रचना………… पर बहुत ही लम्बा कर दिया आपने………. दवे जी।
bahut acche dave ji…..