राधा ने एक दिन श्याम से पूछा, क्यूँ बुलाते हैं तुम्हें मेरे नाम से पूछा। श्याम मुस्कुराये, पलके झुकाये । तुम ही मेरा दिन हो, तुम ही मेरी रात हो राधा। तुम बिन मेरा जीवन जैसे, बिल्कुल हो आधा । तुम ही मेरा दिल , तुम ही मेरी धडकन। बताओ? इसके बिना जिस्म के उस अंजाम को पुछा। राधा ने एक दिन श्याम से पूछा, क्यूँ बुलाते हैं तुम्हें मेरे नाम से पूछा। ये जीवन ये सांसे तो मिट जायेगी, मगर तेरे मेरे प्रेम की कहानी, सब को याद आयेगी । नाम हमारा रोते हुए को हंसायेगी , नासमझो को भी ज्ञानी बना जायगी। फिर प्रेम बिन जीवन, किसी के किस काम की पुछा। राधा ने एक दिन श्याम से पूछा, क्यूँ बुलाते हैं तुम्हें मेरे नाम से पूछा ।। ” काजल सोनी “
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Ati sundar Kajal Ji……………..
तहे दिल से आभार आपका मधुकर जी।
राधा का कृष्ण के साथ संवाद का क्या खूब चित्रण किया ह आपने ……….अति सुन्दर काजल ……..आपकी प्रतिभा दिन प्रतिदिन निखर रही है……..बधाई हो !
आपके प्रोत्साहन देते हुए शब्दों का तहे दिल से आभार आपका निवातिया जी।
Bahut khoob ……………..,Ati sundar ……. ,
तहे दिल से आभार आपका मीना जी।
Bahut sundar Kajal ji…
तहे दिल से आभार आपका अनु जी।
Bahut Badiya ……………………………… Kajal Ji !!
तहे दिल से आभार आपका सर्वजीत जी।
bahut sundar……..
तहे दिल से आभार आपका शर्मा जी।
ati sunder rachna kajal ji…………
तहे दिल से आभार आपका मनी जी।