सच्चाई दिखलाता हूँ
नित्य कर्म की तरह सुबह कार्यशाला के लिए प्रस्थान करने से पहले, तैयार होते हुए जीवन की व्यस्तता में टीवी पर खबरे देख सुन रहा था !कितनी करते है हम बड़ी बड़ी बाते, शिक्षा और विकास का दम भरते है दिखावे की दुनिया में जीते है, आज भी हम, ये ताना बाणा बुन रहा था !!!!हकीकत क्या है सही है या गतल है तुमको मैं बतलाता हूँ !हो सके तो दो पल को विचार करना सच्चाई दिखलाता हूँ !! !पहली खबर में नव संवत्सर, हिंदी नववर्ष की मिली बधाई थीदूजी खबर में नवरात्रो के प्रारम्भ की शुभकामनाये भी पाई थीतीसरी खबर जैसे सुनी उसने मेरे दिल की दुनिया हिलाई थी आज फिर एक लावारिश नवजात बच्ची कूड़े के ढेर में पाई थी !!!!!डी. के. निवातिया
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Well said. All celebrations are useless if we are unable to stop such coward acts.
बहतु बहुत धन्यवाद आपका शिशिर जी !
टंकण त्रुटि के लिये क्षमा करे………… बहुत बहुत धन्यवाद आपका !
निशब्द हूँ आपकी रचना पढ़ कर ।अच्छाई और बुराई समानान्तर चलती है। मगर दुनियाँ अच्छाई पर ही टिकी है । आप की रचना हमारे समाज की गलत सोच को उजागर करती है।
उर्जावान प्रतिक्रिया के लिये ह्रदय से आभार आपका …बहतु बहुत धन्यवाद मीना जी !
टंकण त्रुटि के लिये क्षमा करे………… बहुत बहुत धन्यवाद आपका !
सचमुच लाजवाब………… …निवातिया जी….
बहतु बहुत धन्यवाद काजल………!
टंकण त्रुटि के लिये क्षमा करे………… बहुत बहुत धन्यवाद आपका !
Bahut sundar rachna Nivatiya ji…
बहतु बहुत धन्यवाद अनु जी !
टंकण त्रुटि के लिये क्षमा करे………… बहुत बहुत धन्यवाद आपका !
ye ktu saty ko ujagar kiya hai apne ……..nivatiya ji…
बहुत बहुत धन्यवाद मधु जी !
सच में झकझोर कर रख दिया आपकी इन पंक्तियों ने ……सलाम आपको आपकी सोच को आपकी कलम को ।।
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका !
क्या कहूँ ………बार बार पढने का मन करता है …….मजबूर हूँ ……लाज़बाब है आप ……आपके विचारों को जितना भी पढता हूँ और जिज्ञासा बढती है ।
रचना को मान देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका श्याम तिवारी !
कटु सत्य जो दिल दहलाने वाला है….मानसिक संकीर्णता और सिर्फ अपनी फ़िक्र दर्शाता है ये दिल चीरने वाले दृश्य….मैं आज तक समझ नहीं पाया की इतना पत्थर दिल इंसान हो सकता क्या….एक और हम दुर्गा पूजन कर रहे और दूसरी और बचियों को मार रहे या मरने जैसे हालात में छोड़ रहे….अक्षम्य अपराध है ये…..
आपके विचारो से पूर्णतया सहमत हूँ बब्बू जी ………….आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया का सदैव इंतज़ार रहता है जिनसे चिंतन शैली को बल मिलता है ……….आपकी आलूद प्रतिक्रिया व् रचना को मान देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका !
Bahut achchi or sachchi kavita
बहुत बहुत धन्यवाद आपका कृश्व !
Bahut khoob…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका प्रिंस !
लाजवाब निवातिया सर।
सतत प्रतक्रिया के लिये बहुत बहुत धन्यवाद आपका अजय !
Bahut sundar kavita Nivatiyan ji
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बेहद सुंदर रचना
Thank U Very Much for your lovely comments.