अंतिम यात्राकिसी की चूड़ियाँ टूटेंगी,कुछ की उम्मीदे मुझसेविदा लेगी रूह जबमुस्करा कर मुझसेकितनी बार बुलाने पर भी जोरिश्ते नहीं आयेदौड़ते चले आएंगे वो तबआँशु बहायेकितने आँशु गिरेंगे तबजिस्म पर मेरेरुख्सती में सब खड़े होंगेमेरी मिटटी को घेरे ||अंतिम बार फिर नहलाया जायेगाबाद सजाया जायेगाअंतिम दर्शन है जल्दी आओकुछ को बुलाया जायेगाअंतिम यात्रा होगी परमेरे कदम न हिलेंगेकांधों पर लेकर कब तलकसब दूर ले चलेंगेसमुन्दर कि जिसका कोई छोर नहींआँशु है सबके जल्दी रुकेंगेंशमशान तक सब जोश से आएँगेघर पहुचने पर थकेंगे ||जब अंतिम बार जला होगाशरीर, मरघटी मेंमेरी राख बहा दी गयी होगीपानी की तलहटी मेंब्रह्मभोज खिलाओगे तुम कुछब्रह्मिनो को बुलाकरमेरी यादो समेट दोगे तस्वीर परफूलमाला चढ़ाकरमेरी लाठी, मेरा चश्मा, मेरी डायरीछिपा दोगेमेरी शक्सियत का हर एक निशानमिटा दोगे ||क्या कोई मुझे भी याद करेगा?मेरे बारे में कुछ बात करेगा,उनकी सदा मुझ तक पहुचे कैसे भीऐसी क्या कोई फ़रियाद करेगा ||
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यथार्थ को समेटते खूबसूरत रचनात्मकता …….अति सुन्दर ……….टंकण में हुई शब्द अशुद्धियो को अवश्य एक बार नजर करे !!
आभार निवातिया जी, टंकण अशुद्धियो को भी दूर करने का प्रयास जरूर करेंगे ॥
Sundar rachna…..
Aabhar Anu ji…
Ati sundar bhaav…….
sukriya shishir ji…..
Poornaroopen yathaarth…….
sukriya babu ji ek prayas hai..
sahi kaha apne ……………ytharth ka sundar chitran.
madhu ji aabhar, .. ek prayass tha..
कटु सत्य को लिखा आपने… ………nice
kajal ji, aabhar aakha ..