भक्ति मेरी है, शक्ति तेरीफिर क्यूँ मैं तुझको बिसराऊँतृप्ति-सिन्धु है मंदिर तेराफिर क्यूँ मैं प्यासा रह जाऊँ? मुझको भूल गया फिर भीतेरा साया मैं पाता हूँहर खामोशी सन्नाटे मेंधड़कन अपनी सुन पाता हूँ देख देखकर तेरी मूरतक्यूँ ना दर्शन-प्यास बुझाऊँभक्ति मेरी है, शक्ति तेरीफिर क्यूँ मैं तुझको बिसराऊँ? रही न अब पतवार हमारीआँधी औ तूफान क्षणों मेंतू ही तो इन निष्ठुर पल मेंस्फूर्ति जगाता था प्राणों में अब क्यूँ ना मैं तुझे पुकारूँक्यूँ न शरण में तेरी जाऊँभक्ति मेरी है, शक्ति तेरीफिर क्यूँ मैं तुझको बिसराऊँ? नीड़ तोड़ती चली हवाएँछिन्न-भिन्न कर पंख हमारेऔर निराश्रित मेरी आशादूर गगन में तुझे निहारे श्रद्धा के ही पंख बचे हैंक्यूँ ना भक्ति उड़ान लगाऊँभक्ति मेरी है, शक्ति तेरीफिर क्यूँ मैं तुझको बिसराऊँ? हर पीड़ा के साथ जगे हैंअंधकार में दीप जले हैंफिर भी मुझको कलुषित करनेधुआँ दीप को बुझा चले हैं कैसे कंपित ज्योत-शिखा सेअंतहीन अंधकार मिटाऊँभक्ति मेरी है, शक्ति तेरीफिर क्यूँ मैं तुझको बिसराऊँ? विकल देख यूँ मुझको मेरीआशा ही जब छोड़ चली होमृत्यु का आव्हान गुंजानेप्राणों से इक हूक उठी हो क्यूँ ना श्रद्धा दूनी करकेइस माटी को मुक्ति दिलाऊँभक्ति मेरी है, शक्ति तेरीफिर क्यूँ मैं तुझको बिसराऊँ?…… भूपेन्द्र कुमार दवे00000
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very nice ………………!!
bhakti bhaav ka sundar roop.
ati sundar……….
Bhupendra ji mere anusaar rachnaa ko sudhaar ki awwashyaktaa hai. Jaise doosre stanza me mujhko Bhool Gaya ke sthan par tujhko bhool Gaya adhik upyukt hoga. 8th stanza confusing hai. Otherwise bahut uttam rachnaa hai.
The point is I am not forgetting the God. Only He appears to forget me.
In 8th stanza it is the agony which enlightens me every time because in pain we always remember the God and this remembrance enlightens us. but to pull me back from this enlightenment some who are against me are trying to extinguish the lamp.
bhupendra dave ji bhut hi sundar bhkti may rachana hai apki.