मुहब्बत चीज़ ऐसी है करती मेहरबानियां हरदम ज़िन्दगी रूठ जाती है अगर हों तन्हाईयां हरदम दूर तुम हो गए मुझ से ये सितारों की मर्जी थी फिर भी रहती हैं मेरे साथ में परछाइयां हरदम चोट सह लेता हूँ गहरी पर तुझको ना भूला हूँ देख लेता हूँ ख्वाबों में मैं तेरी रानाईयां हरदम कितनी मुद्दत हुई ना कोई तुझसे बात हो पाईकभी बजती थी आवाज़ की शहनाईयां हरदम लाख चाहा दुनिया ने छवि दिल से नही मिटतीयाद आती हैं मुझको भोली अंगड़ाईयां हरदम तेरे जलवों से मधुकर बज़्म में कितने उजाले थेहर शख्स में दिखाई देती है अब बुराइयां हरदम शिशिर मधुकर
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sundar ……..gazal khoob likha hai apne….. dobaara. post kiya hai..
Dhanyavaad Madhu ji. Par is bar sher alag hain……
बहुत अच्छे शेर लिखे आपने इस बार तो दिल छू लिया।
Thank you very much Ajay …..
बेहद खूबसूरत……….पहले शेर में काफिया मिला लें तो और बेहतर…जैसे…
इश्क़ की सभी को चाहिए मेहरबानियां हरदम
ज़िंदगी रुठ जाती है अगर हों तन्हाईयां हरदम
Hearty thanks Babbu ji. I have adopted your suggestion.
Beautiful…Shishir ji…
So nice of you Anu ………
Aap mujhe bhi gazal likhna sikhaye madhukar ji …… Bahut hi khubsurat………..!
Kajal ji ye aapkaa sneh hai. Vaastv me main bhi abhi seekh hi raha hun. Aapke shabdon ke lie rahe dil se shukriya …….
शब्द के श्रृंगार में…..
लिखा है आपने कैसा बहार में…..!
जय हिन्द !
नववर्ष मंगलमय हो
Dhanyavaad Alok………
शिशिर जी , बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
Aapke amulya shabdon ke lie shukriya Meena ji ……..