फिर आना कन्हैया गोकुल नगरीफोड़ देना सांवरिया मेरी गगरीजमुना तट जल भरने जाऊँजाके वहाँ तेरा दर्शन पाऊँछवि तेरी भर लूं मैं मन गगरीफिर आना कन्हैया गोकुल नगरीगोपीयन संग मुझको भी नचा देपल भर को मोहे राधा बना दे चली अब तो मैं तेरे ही डग रीफिर आना कन्हैया गोकुल नगरीदुनिया मे मेरा मन नहीं लागेजाऊँ कन्हैया तेरे पीछे भागेन छोड़ू मोहन मैं प्रेम पग रीफिर आना कन्हैया गोकुल नगरीतेरे दरस की भूख जबर हैघर बाहर की न कोई खबर हैलागे ये दुनिया गजब ठग रीफिर आना कन्हैया गोकुल नगरीमधु तिवारी
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कृष्ण प्रेम की भक्ति भावना से परिपूर्ण सुन्दर गीत रचना …………बहुत उम्दा मधु जी ………आनंददित कर दिया ……………….!!
हाँ अंतिम से दूसरे पद की दूसरी पंक्ति में कुछ छूट गया शायद एक बार देख ले ……..!!
bhut bhut dhnyawad nivatiya sir……………ha sir ..hi…sabd chhuta hai.
बहुत सुंदर भक्तिमय रचना मधु जी।
utsahwardhan hetu dhnyawad meena ji…
Sundar bhakti rachnaa madhu ji…..
bhut bhut dhnyawad sir ………utsahwardhan hetu….
Sundar rachna Madhuji…bhaktipurn…
bhut bhut dhnyawad anu ji apko………….. utsahwardhan ke liye.
बहुत अच्छा मधु जी।
thanks ajay ji……..utsahwardhan ke liye apka..
bhakti se oatproat……..behad umda……….
thank you sharma sir apka….utsahwardhan ke liye….
Bahut hi khubsurat krishna bhakti……… Madhu ji………!
thanks kajal ji …………..utsahwardhan hetu………
कन्हैया गोकुल नगरी'”
सुंदरतम् शैली….
मधु दीदी…..
bhut bhut dhnyawad aapko alok bhai……….
bahut sundar