तुम दूर रहो या पास इससे पड़ता नहीं है फर्क मुझे ख़ास मिल गया है जो प्रेम का रतन तुमसे बाकी नहीं रही अब किसी से कुछ भी पाने की आस मरकर भी ना निकलेगी खुशबू तेरे बदन की मुझसे मेरी मिट्टी से उड़ उड़ कर महक तेरी बनाएगी हर गुलिस्ता और चमन को सदा ख़ास दीप्ति
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Marvellous ………….,
Thank you Meena ji …..
excellent sir.
Thank you Ajay ……..
प्यार की महक से ओतप्रोत….लाजवाब……
Thank you Babbu ji ………..
क्या बात है ………….कुछ हटकर अच्छा लगा !
Dhanyavaad Nivatiya ji ………
Bahut hi khubsurat………….. Kuch alag…..
Bahut bahut dhanyavaad Kajal ji …….