दुःख होता है ***********यह धरती यह सुन्दर धरती दो भागों में बांटा हुआ है। तुम जिस भाग में रहते हो जो तंग और अंध गली में रहते हो इस तंग और अंधकार को देखकर मुझे बहुत करुण लगता है। तुम्हारा टुटा चौपाया तुम्हारा टूटा छज्जा तुम्हारे अधिकार की लड़ाई में हार देखकर मेरी आंसू निकलती है। तुम्हारा भगवा डेंगा *तुम्हारा अस्वास्थ्य देह तुम्हारा बाद रहा ऋणं तुम्हारा जीने का अधिकार देखकर में बहुत जोर से रोना चाहता हूँ। देखो तो पाप की नदी किधर से बाह रही है यह देश किस लक्ष्य की ओर जा रही है?कामों में लगे लोगों को देखकर ठेकेदार की श्रमिकों को देखकर अकाल से अपाहिज हो चुकी गांव को देखकर ]हाट और बाज़ार को देखकर मनुष्यों का मनुष्यों के लिए अत्याचार को देखकर मुझे बहुत दुःख होता है.———चंद्र मोहन किस्कु ————————————————*भगवा डेंगा =संतालों की पुरानी परिधान
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tikha bhav sampresan…….. khoob kisku ji…….
dhanyavad…………..
अति सुन्दर…………..
Bahut hi khubsurat…………… !