मैंमेरी उदासीऔर एक कप चाय……..ढलती हुई शामथमता हुआ शोरथकता हुआ मनऔर एक कप चाय……उलझे रिश्तेउलझे हालातबेबस सोचऔर एक कप चाय……….बंद मुट्ठी सेरेत का फिसलनापांवों के नीचे सेलहरों का बहनादेखते हीं देखतेउम्मीदों का बह जानाऔर सम्हालने के लिएबस एक कप चाय……..दुविधा की गठरीसाँसो में अटकीसन्नाटो की सिसकीकमरे में पसरीघड़ी की टिक-टिकन कुछ कहतीन सुनतीअपने ही धुन मेंबस बढ़ती जातीऔर……एक कोने में…..सब सुनती- समझतीमैंमेरी उदासीऔर एक कप चाय………..-अलका
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Behtreen rachnaa Alka ………….
बहुत -बहुत धन्यवाद सर………….
जादू की तरह चाय का कप…..कलम की जादूगरी….वाह…लाजवाब……..
बहुत -बहुत धन्यवाद शर्मा जी………..
bhut khoobsurat bhav …………alka ji…….
आपका बहुत -बहुत धन्यवाद मैम……….
खूबसूरत अवलोकन ……फुरसत के पलो में चाय की चुस्की लेते हुए उपजे भावो का सटीक चित्रण …… सत्य कहा आपने ………….प्रत्येक उदासीन माहौल में .. चाय की प्याली स्फूर्ति का कार्य करती है अति सुन्दर !!
बहुत -बहुत धन्यवाद सर…………….
Bahut hi khubsurat………… भाव से भरी चाय की चुस्की…….
आपका बहुत धन्यवाद काजल जी………
Behtreen ………., Ati sundar …………..,
बहुत -बहुत धन्यवाद मैम………
Bahut hi sundar…….
आपका बहुत धन्यवाद मैम………
एक बेहद खूबसूरत रचना जो सिर्फ एक कप चाय से स्फूर्ति बढा दे।