IIछंद-चोपाईIIकर जोर खड़ा प्रभु के आगे, मन में भाव कभी ही जागे…माँ ‘चंदर’ आवाज़ लगायी, रोम रोम मिठास घुल आयी…कैसे कथन करूं जस तैसा, अनुभव जो गूंगे के जैसा…ईशवर रूप बनाया एसा, माँ में खुद को छुपाया एसा…\/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)
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Well Said. Lovely write Babbu Ji ……
तहदिल आभार आपका…Madhukarji….
बेहद खूबसूरत भाव।
तहदिल आभार आपका…Ajayji…
Very nice…..Sharmaji…
तहदिल आभार आपका….Anuji….
Bahut hi khubsurat..bhaw…….. Sharma ji
तहदिल आभार आपका…..kajalji……
बहुत उम्दा बब्बू जी …………………..!!
मन में भाव कभी ही जागे… में “कभी ही जागे” भाव माता के लिए उचित नही लगता, या शायद में समझ पाने में असमर्थ हूँ !!
तहदिल आभार आपका निवतियाजी……पहली पंक्ति में ‘मूरत’ से मतलब भगवान् की मूरत से है….माँ की मूरत से नहीं…मैं इसको बदल देता हूँ…
Ati Sundar …………, Khubsurat rachana Sharma ji
तहदिल आभार आपका….Meenaji….
बहुत ही सुंदर…………….
तहदिल आभार आपका….Alkaji….
बहुत ही सुंदर
तहदिल आभार आपका….Vivekji….