कल ख़्वाब में मिली मुझसे तो कह रही थी वो, मेरी कुछ हरकतों से आजकल नाराज़ रहती है।मेरा यूं भीगना बरसात में अच्छा नहीं लगता, उसकी तबियत कई दिनों तक नासाज़ रहती है।इस धोखे में मत रहना तुम कि मैं ही गाता हूँ,होठ हिलते मेरे हैं पर उसकी आवाज़ रहती है।होंगे ना रूबरू कभी था ये कलाम “करुणा” का,अब मुझमें समाकर ही आशिक़ मिज़ाज रहती है।
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Ajay bahut sundar …………….
धन्यवाद सर । बहुत बहुत आभार आपका।
प्रेम के भावो से परिपूर्ण ..खूबसूरत रचना !
बहुत बहुत धन्यवाद सर।
ati sundar…………….
शुक्रिया सर।
Very nice …….
thanks mam.
Bahut hi khubsurat…………..!
thank you so much Kajal ji.