समझ के खिलौना तोड़ा दिल, अब मै बेकार हो गया हूँ,सज़ा मोहब्बत की मिल रही है, मै गुनहगार हो गया हूँ।,हर सितम शौक से सहने को, मै तैयार हो गया हूँ,सज़ा मोहब्बत की मिल रही है, मै गुनहगार हो गया हूँ।किसी के अरमां जलाए हैं, किसी के सपने तोड़े हैं,जिनमें लिखी थी मेरी तक़दीर, मैंने वो हाथ छोड़े हैं,जो ज़ख्म दिल पे लगते हैं, उनका दावेदार हो गया हूँ,सज़ा मोहब्बत की मिल रही है, मै गुनहगार हो गया हूँ।कसमें वफ़ा की खाईं थी, जिन्हें अब निभा नहीं सकता,तेरे एहसान ओ मेरी जान, मै कभी चुका नहीं सकता,तेरी बेवफाई का मै भी, अब हक़दार हो गया हूँ,सज़ा मोहब्बत की मिल रही है, मै गुनहगार हो गया हूँ।अब तो ख़ामोश हैं खुशियाँ, ग़मों से बात करता हूँ,कि तु खुश रहे सदा, ये दुआ दिन-रात करता हूँ,”करुणा” समझ के तेरी बात, मै समझदार हो गया हूँ,सज़ा मोहब्बत की मिल रही है, मै गुनहगार हो गया हूँ।
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Behad sundar rachnaa …………..
dhanyawad sir.
bhut gajab…………………ajay ji……….
shukriya mam.
Behad khoobsoorat……..
shukriya sir.
खूबसूरत अभिव्यक्ति अजय ……………………..ह्रदय के भावो को शब्दो में संजोने का अच्छा कार्य !!
aapka bahut bahut aabhar nivatiya sir.
Bahut hi khubsurat………. Sundar rachna…
Bahut bahut dhanyawad aapka Kajal ji.