IIछंद-चौपाईIIदाम पड़ती छोटी जाए, कृष्णा उदर बंध ना पाए…माँ लल्ला का बंधन चाहे, योगी भी पकड़ना चाहे…माया धारी में जो उलझे,योग ज्ञान तप से ना सुलझे…बलिहारी लीला पे जाऊं,बिना प्रेम कृष्ना ना पाऊं…बन दामोदर कीन्हीं किरपा,बंधे मात प्रेम में कृष्णा…पद पंकज तोरे है बिनती,बांधों ‘चंदर’ अपनी प्रीती…\/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)दाम – रस्सी, डोरीउदर – पेट(नाचीज़ ने कृष्णा के उस ‘दामोदर रूप’ को शब्द देने की कोशिश की है जो बड़े बड़े योगियों ऋषिओं के ज्ञान से भी परे है…उसी की किरपा से भाव जागे…लिखा है…मेरा कुछ भी नहीं है इसमें सिवा बिनती के)
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बहुत अच्छा लिखा है आपने सर कमाल कर दिया।
तहदिल आभार आपका…..Ajayji…..
bahut sunder biniti sir…..apki….
तहदिल आभार आपका….Maniji….
I found myself nodding my noggin all the way thuogrh.
सत्य कहा आपने बब्बू जी धन्य है आप ……………….प्रभु की लीला अपरम्पार ……..नमन आपकी सोच को आपकी कलम को !
आप की प्रतिकिर्या के आगे नतमस्तक हूँ…..तहदिल आभार आपका….आपके वचनों का….Nivatiyaji….
Behad sundar Babbu ji ………
तहदिल आभार आपका….Madhukarji….
बहुत सुंदर शर्मा जी………
तहदिल आभार आपका….Alkaji….
Sharma ji……. बहुत ही सुंदर…………. भाव विभोर कर रही है आजकल आपकी भक्तिमय रचनाये ……
…….. लाजवाब……….
जब जो मन आता लिख देता हूँ बस…..आपके दिल तक पहुंची वही काफी है….. तहदिल आभार आपका…काजलजी…..
Naman aapki lekhani ko . Ati uttam srijan.
तहदिल आभार आपका मीनाजी….