मौत का डर नहीं मुझको, मैं ज़माने से डरता हूँ, प्यार तुझसे ही करता था, प्यार तुझसे ही करता हूँ।सोचा कि इत्तला कर दूं, अब भी तुझपे ही मरता हूँ, प्यार तुझसे ही करता था, प्यार तुझसे ही करता हूँ।मेरी कोशिश थी बस इतनी, कभी बदनाम ना हो तु, की थी रब से दुआ मैंने, कभी नाकाम ना हो तु, जुदा तुझसे हुआ था तब, मैं आहें अब भी भरता हूँ, प्यार तुझसे ही करता था, प्यार तुझसे ही करता हूँ।मुझे इस दिल को समझाना, अब आसान नहीं लगता, तुझपर कुर्बान होना भी, इसे नुकसान नहीं लगता, कहीं पड़ जाए ना खलल, तेरी खुशियों में डरता हूँ,प्यार तुझसे ही करता था, प्यार तुझसे ही करता हूँ।दावेदारी नहीं रही तुझपर, कोई हक़ जताने की, ना है बाकी कोई रिवायत, रूठने या मनाने की, फैसले फासलों के कर, मैं घुट-घुट के मरता हूँ, प्यार तुझसे ही करता था, प्यार तुझसे ही करता हूँ।
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अति सुन्दर रचना अजय जी।
धन्यवाद मैम
niswarth prem ka parichay deti rachana……
…
बहुत बहुत आभार।
Khoobsoorat………..
शुक्रिया सर।
Bahut bhadiya Ajay ………
thank you so much sir.
अति सुन्दर …………………!!
dhanyawad sir
Bahut hi khubsurat………..
……….!
thank you Kajal Ji for your lovely compliment.