चिमनी से उठता हुआ धुंआ,
कर रहा है बयान,
किसी के घर की दास्ताँ…
कहीं कुछ जल रहा है,बुझा दो |
दो दिल राख न बन जाएँ…
चल रहे हैं इस तेज़ी से,
बेदर्द हवाओं के झोंके,
बदल न दे चिनगारियों को शोलों में,
रोको, दो जान सुलग न जाएँ…
तिनका-तिनका बना था जो आशियाना,
दिल के दरों और अरमानों की दीवारों से,
दरारों के बीच कहीं खो न जाए,
देखो, कहीं ढेर हो न जाए…
दो दिल राख न बन जाएँ…
दो जान सुलग न जाएँ…
चिमनी से उठता हुआ धुंआ,
कर रहा है बयान,
किसी के घर की दास्ताँ…
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत ही खूबसूरत।
sundar bhav se saji rachana………………….
Bahut khoobsoorat……..
Dhanyawad
Behtreen rachnaa…………….
Thanku
Very very nice…………!
thanks