IIछंद – चौपाईIIऊषा किरणें चरण पखारें, पुरवाई चंवर झुलायें…नाटक करते नटखट कान्हा, मूंदें आँखें ज्यूं सोने का…बलिहारी लीला पे उसकी, श्याम सलोनी सूरत जिसकी ….डांटे माँ ये चाह उसे भी, उँगली पे है जग यह जिसकी….माँ की महिमा न-कही जाये, गुण जिसके तिर्देव भी गाये…माँ चरणों में तीर्थ सारे, कहते वेद पुराण हमारे…हो जाओ बडभागी कितने, तीर्थ घूमाओ तुम कितने…त्रस्त किया है माँ को जिसने, पाप नहीं है उसके मिटने…\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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Sharma ji , माँ के प्रति असीम अनुराग भावना से समर्पित आपकी भक्ति भावपूर्ण यह रचना अपने साथ सुन्दर सा सामाजिक सन्देश भी देती है । अति उत्तम ।
तहदिल आभार आपका….Meenaji…..
निसन्देह मातृत्व सर्वोपरि है …उसका कोई सानी नही ………आपकी कलम का भी कोई सानी नही ………अगर चोपाई में प्रत्येक पदांत को लयबद्ध कर देते तो आनंद कई गुना बढ़ जाता …………….बहतु उम्दा बब्बू जी !
Nivatiyaji….तहदिल आभार आपके वचनों का….मेरे ध्यान से निकल गया…एकदम पोस्ट कर के चला गया…बदला है मैंने…अनुरोध है आप से पुनः नज़र करें…..
बहुत अच्छे बब्बू जी …भावो को मान देने के लिए धन्यवाद आपका……..आपकी शान में गुस्ताखी के लिए क्षमा करे …..भावो को सकारात्मक लेते हुए मंतव्य समझने का प्रयास करे उदाहरणार्थ :
ऊषा किरणें चरण पखारें, पुरवाई चंवर झुलायें…
नाटक करते नटखट कान्हा, मीचहै झूठ आँख दिखाये !!
……..आदि आदि
“कान्हा” के साथ “दिखाये” तुकान्क समझ नहीं आया….मेरी समझ में पहले का दुसरे चरण से, तीसरे का चतुर्थ चरण तुकान्क एक होना चाहिए…
सत्य कहा आपने बब्बू जी यक़ीनन आप सही है ………….चौपाई में प्रथम कल को दुसरे तथा तृतीय कल को चतुर्थ से मिलान करते है …..मैं दोहे में उलझ कर रहा गया …. त्रुटि के लिये क्षमा करे !!
सर क्षमा मांग के शर्मिंदा मत कीजे….आप के वचन सर आँखों पे सर…इस चर्चा से दिमाग में अब पूरी तरह बैठ गयी बात मेरे…हा हा हा….दिल से आभार आपका….
bhut sundar rachana ma k liye……. sharma sir……
तहदिल आभार आपका….Madhuji….
bhakti bhaav se poorn maan kee mahimaa batlaati khoobsoorat rachnaa Babbu Ji.
तहदिल आभार आपका…Madhukarji….
Bahut hi behtareen………… Aapki sundar
Rachnao me se ek rachna…… Sharma ji
काजलजी….तहदिल आभार आपके प्रोत्साहन भर शब्दों का…..
Behad Hi Bhavbibhor Karti Prastuti Aapki.
तहदिल आभार आपका….Ajayji….