तड़प जाता हूं मैं, नजरें न चुराया करोबिखर जाता हूं तुम न सिमट जाया करोदेखूं जो महफिल में हंसते बतियाते हुएमर मिटता हूं यूँ न नाज दिखाया करोगजब ढाती हो इस कदर इठलाती चलीमुझे खता करने को न उकसाया करोमर मिटा हूं तेरी इन्हीं अदाओं पर मैं तोबेवफाई का इल्जाम यूं न लगाया करोमय की कहां जरुरत है मुझे सनमअपनी नजरों से ही जाम पिलाया करोतेरे नैनो ने ही किया है मदहोश मुझेहोश मे आ जाऊँ न ऐसे सताया करोनिगाहों से ओझल कभी नहीं होना तुम” मेरी हो” ये हरदम यकीं दिलाया करो
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बेहतरीन कविता शब्दो का सुंदर उपयोग
sukriya rajiv ji…………utsahwardhan hetu………..
प्रेम से अभिभूत बहुत उम्दा रचना मधु जी………………..अति सुंदर !!
गुस्ताखी माफ़ हो मधु जी मिसरे को कुछ यूँ सजाये तो कैसा लगेगा
तड़प उठता हूं मैं, यूँ नजरें न चुराया करो !
बिखर जाता हूं मैं,यूँ तुम न मुर्झाया करो !!
Bahut Achcha madhu ji
thank you ajay ji.
……..
sukriya nivatiya ji………………bhavanurup sabdo ka chayan ki hu.sahjta hetu maine inka chyan kiya hai……..smalochna ke liye thnk you sir.
बेहतरीन…………………..
dhnyawad shishir sir……………..
………..
Sunder bhav………..
thanks vivek ji…………………………………….
Bahut bahut hi khubsurat……. Madhu ji.
bhut bhut dhnyawad apko kajal ji utsahwardhan ke liye…….
lovely creation………
thanks saini ji………………………………………..
Lajawaab……kamaal ke bhaav ukere hain gazal ne…..
bhut bhut dhnyawad sharma sir ……………apka utsahwardhan hetu sabd bhut hi khoob rahta hai.
बहुत खूब 👏🙏