पड़े हैं कदम आँगन में जबसे तेरे
सबकी “ख़ुशी” बन गई हो तुम
बदनसीब थे जो इस घर में
उनका नसीब बन गई हो तुम
जनक नहीं हूँ मैं तेरा
पर मेरी जानकी बन गई हो तुम
माँगते है जो हर कोई खुदा से
मेरी वो दुआ बन गई हो तुम
मोल नहीं जिसका जीवन में
वो अनमोल रत्न बन गई हो तुम
किस्सों में जो अबतक सुना था
मेरी वो परी बन गई हो तुम
जीवन में जो है मुस्कान हमारे
कारण उसका बस हो तुम
हर मन की बस यही है आशा
यूँ ही “ख़ुशी” बिखरते रहना तुम
Bahut sundar….
dhanywad………
bhut sundar …………bitiya rani ka chitran kiya hai apne… vivek ji….
thanks mam, and i want to make a correction i.e my name is Vijay not Vivek.
LOVELY FEELINGS……………..!
thanks sir……
Behad sunder ……..
dhanyawad sir.
bahut hi khubsurat……………
dhanywad………