आज व्हाट’स एप का जमाना है
फिर भी ये दिल उन खतो का दिवाना है
खत में होती थी हर बाते
कभी खुशखबरी और कभी शिकायते
आज फेसबुक का जमाना है
फिर भी ये दिल उन फोटो का दिवाना है
जिसमे होते थे भीड़ कई चेहरों के
उसमे ढूँढे जाते चेहरे अपनों के
आज यू-टूब का जमाना है
फिर भी ये दिल वी.सी.आर का दिवाना है
पैसे इक्टठे होते थे तब
रातो को जागा करते थे सब
आज स्मार्ट-फोन का जमाना है
फिर भी ये दिल लैंड-लाइन का दिवाना है
होती थी जब ट्रिंग-ट्रिंग की आवाजे
दौड़ा करते थे सब फोन उठाने
आज डिजिटल वाच का जमाना है
फिर भी ये दिल एच.एम.टी का दिवाना है
कलाई में क्या खूब था जचता
और रोज चाबी उसको था पड़ता
Very nice ….Vijay ji…
shukriya anu ji…
sahi kaha vijay ji…….bhut.. achha lga…
thanks madhu ji…..
Very nice ……………..,
thanks………..
Very nice
thanks…………..
Bahut khoob…..chitran…
thanks……..
प्रगति की और बढ़ते कदमो को भूतकाल की पदचाप सुनाई दे रही है है अति सुंदर !!
aapke in shabdo ke liye shukriya.
kya baat hai…… bahut hi khubsurat…
dhanywad kajal ji.