कोई जब दुखी हो,तो फर्क पड़ता है,कोई जब रूठा हो मुझसे ..तो फर्क पड़ता है,जब गलती हो मुझसेतो फर्क पड़ता हैजब सपनो को सच बनाने में समय लगता हैतो फर्क पड़ता हैकिसी के उदास हो जाने सेफर्क पड़ता हैवो जब कहे की मेरी खातिर बदल जाओ तुमतो फर्क पड़ता हैवो कहे की मुझे भूल जाओ तुमतो फर्क पड़ता हैमें क्यों किसी के लिए खुदको बदलूहां उसके दुःख से दर्द मुझे होता हैपर में अपने अस्तित्व को क्यों बदलूवो कहता है, नादान हो तुमपर में इस आदत को क्यों बदलूहर दर्द को भूलने की ताकत है ये मेरीइस ताकत के आखिर में क्यों बदलूजब कोई अपना रोता हैतो फर्क पड़ता हैकोई जब दुखी होतो फर्क पड़ता है “चंचल सोनी”
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bhut sahi kaha apne chnchal ji…………….
Very nice and true…..
Beautiful…………….सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति का अच्छा उदहारण ……………फर्क पड़ना चाहिये…………….ll
मेरी रचना ” बिटिया रानी…..चली गयी ” को पढ़े और अपने विचार व्यक्त करे !!
Its true lovely poetry
lovely sentiments ………………….
Bahut sahi………..
Full of emotions….Nice