खुली हवा में रखा हुआ पेट्रोलजैसे उड़ने के बाद भीछोड़ जाता है अपनी खुशबूदिलाता है याद अपने होने कीवैसे हीतुम भी छोड़ जानाअपना एक हिस्सा मेरे भीतरपिघलाना मुझे अंदर सेनिकलकर बाहर आनाआँसुओं के साथदिलाना याद अपने होने कीछोड़ जाना अपनी खुशबूअखबार के पन्नों मेंसुबह की चाय मेंघर की दीवारों मेंऔर मुझमें
अमिताभ भट्ट ‘द्विज’
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