तु काटता है सिर जिहाद के लिए, ज़िन्दगियाँ बाँटता हूँ मैं ज़िन्दाबाद के लिए।फिज़ूल तेरे खून की रवानी है क़ातिल, अपने भाई मारता है तुझ सा नहीं जाहिल, तु छेड़ता है रोज जंग मुर्दाबाद के लिए,ज़िन्दगियाँ बाँटता हूँ मैं ज़िन्दाबाद के लिए।मजबूरन मुस्कुराता हूँ देखकर तेरी ज़िहालत, बाज़ आता नहीं तु करता आतंक की वकालत, चर्चा है तेरी दुनिया में फैले उन्माद के लिए, ज़िन्दगियाँ बाँटता हूँ मैं ज़िन्दाबाद के लिए।ये तो बड़ों का बड़प्पन है चोट खाकर भी घाव नहीं देते, मेरा बस चलता तो तुझे भारत में रखने पांव नहीं देते, इतना वक़्त नहीं देता करे तु बर्बाद के लिए, ज़िन्दगियाँ बाँटता हूँ मैं ज़िन्दाबाद के लिए।
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Beautyfull
पाक को आगाह करते शब्द
behad sateek rachnaa aaj ke haalaat pe
शुक्रिया सर
धन्यवाद कृष्ण सैनी जी
Desh prem ko drshati sakaaratm bhav vyajt karti achchi abhivyakti ….!
धन्यवाद सर
bhut sundar oj se bharpur deshbhakti ki misaal deti rachana .
dhanyawad mam
Bahut khoobsurat……………..
shukriya Kajal ji
Bahut sundar rachna….
thanks for your compliment mam
Ati sunder……….
thank you sir
अजय जी आपने ह्रदय को खुश कर दिया…..
गद्दार देश के लोगों एवं कायरों पर प्रहार कर….
रचना ऐसे ही लिखते रहिए…..
thank you sir