तुमने तो काट ली जिंदगी,काश में और आस में,हम से पूछ ऐ “मनी”ना जिया ना मारा जाये,तेरे दीदार की प्यास में,——————————-रात तो कट जाती है,तेरी यादों के सहारे,कटते नहीं तो दिन,जब दीवाना कह कर, ये दुनिया मुझे पत्थर मारे,—————————-दर्द दे जमाना मुझे,कोई गम नहीं,ख़ुशी भी शूल लगे,जब साथ तुम नहीं,—————————–रूठो हमसे कभी सनम, हर हाल मना लेंगे तुझे,खो जाओ दुनिया की, भीड़ में ढूंढ लेंगे तुझे,पर गुजारिश है तुमसे, छिपते ना फिरो हमसे,——————————-तेरी नज़रो में अक्स मेरा,तेरी जुबाँ पर नाम मेरा,सनम मान भी जाओ तुम,है “मनी” के पास दिल तेरा,मनिंदर सिंह “मनी”
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Kya baat hai maninder ji aap chah gaye
thanks rajeev ji…..
Bahut sundar…Mani ji…..
dhanywad anu ji apka….
बहुत अच्छे मनी…
thanks sir shishir sir…..
Bahut Khoob sir
thanks ajay kumar ji………………..
Well written mani……………….. ह्रदय के पट खोलकर रख दिए आपने ……………आपने प्रत्येक पद को अलग अलग पैमाने में उतारा है, रचना के पदों को समान रखने से रचना की गेयता और श्रंगार दोनों में निखार आता है इस पर ध्यान दे !
dhanywad nivatiyan sir…..ji mein dhayan rakhunga………
bhut sundar bhav se saji rachana apki mani ji…….
sukriya madhu ji……….
Bahut khoob ……………,
thank you meena ji……….
Bahut khubsurat rachna mani ji……. Per panktiya ke taalmel me jara si kami lagi.
Behad khoobsoorat maniji….bahut umda ja rahe ho…..
क्या बात है मनी भाई………..
dhanywad alok ji…..