इंतज़ार को कैसे ये मालूम हुआ होगा,तन्हाई का खोदा किसने कुंआ होगा,कि ज़िक्र भी करता हूँ, तेरी फिक्र भी है,मेरी इस दुखती रग को किसने छुआ होगा।आज भी ज़ाहिर नहीं कर सकता जज़्बात,होती है सिर्फ तुमसे ख़्वाबों में मुलाक़ात,अब सामने नज़र आते हो तुम जब भी,तो जाने क्यूँ होते नहीं काबू में हालात।कुछ सोच कर रूक जाता हूँ, ठहर जाता हूँ,तेरी तरफ़ बढ़ते कदमों को वापस लाता हूँ,कि भूल ना हो जाए कोई तुझसे बात करते वक़्त,मै अब भी अपने लबों को ये बात समझाता हूँ।है अब भी तड़प पाने की तुझको करुणा,तेरे लबों से अच्छा लगे अपना नाम सुनना,क्यूँ ख़ामोश है खड़ी तु तस्वीर में अपनी,मैंने छोड़ा नही अब तक तेरे संग सपने बुनना।
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अति सुन्दर……………
धन्यवाद सर
badiya sir……….
thank you sir
bhut hi sundar bhav ujagar kiya hai apne ……….
ajay ji….
aapka bahut aabhar…माननीय मधु जी
Lovely creation AJAY…………..भावनाओ को गहराइयो को छूती खूबसूरत प्रेम रचना !!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
Very nice ajay ji….. beautifully crafted poem
शुक्रिया सर
Ati sunder rachana .
आपका आभारी हूँ कि आपने मेरी रचना को सराहा।
Behad sunder………..
shukriya sir
nic brother
thanks bro.