मेरे गीतों की बगिया मेंतू बसंत-रुत बन खेला था।सत रंगी फूलों से सुर लेतू रचता जीवन मेला था। राग-रागिनी पूर्ण हुई जबअंतिम गीतों की बारी थीतू पतझर बनकर आ बैठाजब महकी यह फुलवारी थी। तोड़ गया तू उस डाली कोजिस पर मेरा डेरा थामेरे गीतों की बगिया मेंतू बसंत-रुत बन खेला था। सोचा था तू खगवृन्दों कागीत सुरीला बन आवेगागूँज उठेगा गीत बाग मेंसुर जब मेरा सध जावेगा। सुप्त हुआ पर भक्ति भाव जोतेरी वीणा से जागा था।मेरे गीतों की बगिया मेंतू बसंत-रुत बन खेला था। सुन्दर था परिधान सुरों काराग-रागिनी सब मोहक थीहर गीतों के रस में डूबीवीणा वाणी भी साधक थी। तूने तब तज मेरा तन मनव्याकुल प्राणों को छेड़ा था।मेरे गीतों की बगिया मेंतू बसंत-रुत बन खेला था। तितली भ्रमरों ने भी मिलकरनृत्य अनोखा कर दिखलायाझूम उठी थी लता बेल जबपवन वेग ने मन ललचाया। खंड़ित करने सुखक्षण सारेतूने मेघों को टेरा था।मेरे गीतों की बगिया मेंतू बसंत-रुत बन खेला था। तेरी पदध्वनि भी ऐसी थीजिसमें था रस मृदु पायल कागीतों के कंठों में भी थाबोल सुरीला कोयल का। रही आरती आधी अधूरीजब धुँआ दीप पर खेला था।मेरे गीतों की बगिया मेंतू बसंत-रुत बन खेला था। ..…. भ्रूपेन्द्र कुमार दवे 00000
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bhut hi sundar rachana …………….bhupendra ji
Ati sundar bhaav. Kuch sthano pat behtar rhyming ke lie yadi aur upyukt shabd mil jaate to gayetaa bazaar guni Bach jaati. Bhaavon kee drasti se anupam.
Bahut Umda rachnaatmkta ……………….
Very very nice………… Bhupenda ji
Bahut der baad aapka aagman hua hai…..abhinandan….or kya lajawaab aagman hai aapka….maja aa gaya……
bahut khoobsurat rachana ke liye abhar….