ख़्वाब में थामा हाथ तेरा तो बना हकीक़त मे दीवाना,जानबूझकर रोग लगाया दर्द मिला मुझको अनजाना, पहर दोपहर ठहर के देखा किस पल तेरा आना जाना,तेरे प्यार में रमता जोगी, मै दीवाना, मै मस्ताना।रहे दूर आँखों से नींदें शुरू हुआ अश्कों का आना,जग से इन्हे छुपाऊँ कैसे सुझे ना अब कोई बहाना,समझ के भी तु ना समझे बहुत ही मुश्किल है समझाना,तेरे प्यार में रमता जोगी, मै दीवाना, मै मस्ताना।आज की बात नहीं करता हूँ वचन मेरा है बहुत पुराना,मिलने को आतुर था तुझसे ढूँढ रहा था तेरा ठिकाना,वहीं तलाशा वहीं था खोजा जहाँ कि था तु मुझे मिला ना,तेरे प्यार में रमता जोगी, मै दीवाना, मै मस्ताना।अल्फाज़ों में बयां ना होगा जो भी कुछ है तुझे बताना,मुझको आती पलकों की भाषा बिन बोले ही समझ तु जाना,मान भी जा ओ प्रियतमा छोड़ भी दे अब मुझे सताना,तेरे प्यार में रमता जोगी, मै दीवाना, मै मस्ताना।
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Behad khoobsoorat. Flow bhi adbhut hai. Bhaavnaaon me sincereity bhi hai.
Bahut Bahut shukriya sir
sundar sringarik rachana apki…………..ajay ji….
dhanyawad mam
Bahut hi lajwaab rachna ………. Ajay ji
Bahut Bahut shukriya
very nice …………….. खूबसूरत भावो को दर्शाती अच्छी रचना !
tahe dil se aapka shukriya sir
lovely creation ajay ji………
thank you for your compliment