मुमकिन है सारी बातें भी तु सुनकर चुप रहेगी,आज सिर्फ मैं कहूँगा और तु सबकुछ सुनेगी,बहुत पहले निकल के तु जा चुकी मेरी तक़दीर से,दिल के अरमां बताऊंगा मै तेरी तस्वीर से. . . .हकीक़त तो यही है मुझे भुला चुकी है तु,पर क्या जानती है कितना मुझे रुला चुकी है तु,बहुत सी शिकायतें हैं इस रांझे को हीर से,दिल के अरमां बताऊंगा मै तेरी तस्वीर से. . . .तेरी फिक्र में जीता हूँ मौत की तलाश है,मुझे तेरे जिस्म की नहीं तेरी चाहत की प्यास है,तुने मेरा नाम मिटाया क्यूं हाथों की लकीर से,दिल के अरमां बताऊंगा मै तेरी तस्वीर से. . . .मै बेहतर तेरी ख़ामोशी का राज़ समझता हूँ,कि है ख़ता मैंने है तु नाराज़ समझता हूँ,अभी तक नहीं निकला मै मोहब्बत की पीर से,दिल के अरमां बताऊंगा मै तेरी तस्वीर से. . . .
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bhut sundar rachana apki…….. ajay ji……….
thank you mam aap ka Aashish chahoonga Yunn Hi Bana rahe
बहुत सुन्दर रचना. बेहद खूबसूरत
shukriya sir
Lovely……….ह्रदय के भावो को शब्द देकर गीत रचना में बाँधने का उम्दा प्रयास ।
thank you sir
Very nice…………….,
dhanywad mam
badiya kosish apki…..
shukriya sir
Bahut badhiya……….
thank you meri kavita ko aapne samay diya..
bahut प्यारी रचना…………
thanks Bro