तू नखरीली , छैल छबिली , थोड़ी शर्मीली , मन को तू मेरे भाय । प्रेम की गहरी घटा बरसे, जब जब काजल तू लगाये । नयन तेरे दो गहरे मोती , असुवन सागर सा समाये । पैनी नजर से देख जिसे तू , तेरे रुप में फंसता वो जाये । चंदन सी तेरी काया , मुस्कान भी तेरी इक माया । घनघोर घटा की बारिश सी तू , मुझ पर पङती जाये । तू मनमोहनी सुरत वाली , अदा भी खूब निराली , मन में अगन तू लगाये तेरी यादों की लहर सागर जैसी , जो बार बार फिर कर आये । मुझे प्रेम की धुन ऐसी लागी , अब कौन मुझे बचाये । ज्यौ ज्यौ भागु दूर तुझसे , त्यौ त्यौ मन में तू समाये । । . . “काजल सोनी”
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Maine ऐसी रचना पहली बार लिखी है ….. अतः सभी गुणी जनो से मेरा निवेदन है कि , मुझे मेरी गलतियां बताये
तथा मेरा सही मार्गदर्शन करें ………
…………………………………. धन्यवाद ! !
Purush man ke bhaavon kaa behad sundar chit ran kiyaa hai aapne.
Madhukar ji…… बहुत बहुत आभार आपका ।
पर आपने कोई मार्गदर्शन नहीं दिया मुझे …. ऐसी कविता
पहली बार लिखने की कोशिश की है मैंने ।
bhut sundar kavita kajal ji……………….galti n ho to btaye kya.bhla apse koi galti hogi bhla.
Aapki इतनी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल से शुक्रिया आपका मधु जी………
Bahut sundar rachna…. Kajal ji….
Aapka bahut bahut dhanyawad anu ji
Very nice creation Kajal ji
Thanks u so much meena ji ……
Nice creation KAAJAL ………………….!!
Aapka bahut bahut aabhaar nivatiya ji .
Bahut hi sunder…….. ..
Is baar bahut hi jaldi comments aaye aapke
…… Bahut bahut aabhaar aapka sharma ji