(यह रचना बिटिया की विदाई के बाद घर में उपजे माहौल पर प्रकाश डालती है, इसका पूर्ण आनंद लेने के लिए ह्रदयतल की गहराइयो में उतर कर रसास्वादन करे )
बिटिया रानी…..चली गयी
जिस रोज़ से बिटिया रानी,तू बाबुल आँगन छोड़ चली गयी,मिलन को तरस रहे है नैना,क्यों बाबुल से मुख मोड़ चली गयी,अति हुई है अब तो आजा,प्यासी आँखे द्वारे टिकी रहती है !!
निर्झर बरसते है हम सब के नैना, कपोलो पे जल धारा बहती है !घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, बिटिया जब याद तुम्हारी आती है !!
सूना पड़ा है कोना कोना ,घर में नजर न रौनक आयेतेरे बंचपन कि अठखेलिया,रह-रह पागल मन को सताये,आस लगी है तेरे मिलन की,हर पल तू ही खयालो में रहती है !!
निर्झर बरसते है हम सब के नैना, कपोलो पे जल धारा बहती है !घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, बिटिया जब याद तुम्हारी आती है !!
पूछते है ये दर और दीवारे,अब तो धूमिल हुई है तेरी किताबे,चुनर लटकी एक कोने में,तेरे आँचल पे सवरने को ललचाती है,कब आयेगी मेरी लाडली,घर की एक चीज़ मुझसे ये कहती है !!
निर्झर बरसते है हम सब के नैना, कपोलो पे जल धारा बहती है !घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, बिटिया जब याद तुम्हारी आती है !!
रसोई में रहता है सूनापन,कुटिया में खामोशी छायी रहती हैवो चिड़िया भी नित आती आँगनचीं चीं कर तेरे ही नाम को रटती है,सदा करे बस सवाल एक ही,मेरी सहेली से मिलवा दो ,कहकर उड़ जाती है !!
निर्झर बरसते है हम सब के नैना, कपोलो पे जल धारा बहती है !घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, बिटिया जब याद तुम्हारी आती है !!
बात करता हूँ तस्वीरो सेमगर आवाज न उनसे तेरी आती हैधुंधला पड़ा आईना कोने में,जब देखूं तेरी परछाई नजर आती है,मत तरसा लाडली अब तो आजा,क्यों बूढी आँखों को तड़पाती है !!
निर्झर बरसते है हम सब के नैना, कपोलो पे जल धारा बहती है !घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, बिटिया जब याद तुम्हारी आती है !!
छुटकी भी अब हुई सयानी,जो पहले बात बात पर तुझे सताती थी,अब धीर गंभीर करती बाते,जिसकी हँसी से ये कुटिया गुंजयाती थीलगने लगी है अब बड़ी अबोधजाने क्यों वो भी गुमसुम सी रहती है !!
निर्झर बरसते है हम सब के नैना, कपोलो पे जल धारा बहती है !घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, बिटिया जब याद तुम्हारी आती है !!
तख़्त पे बैठी बूढी मैय्या ,हर आहट पे नाम तेरा बुलाती हैजिगर तो तेरे संग गयाअब निर्जर देह प्राणों से लड़ती हैअब कैसे उसको समझाऊ,बिटिया नही रही अब तेरी, वो तो हुई पराई है !!
निर्झर बरसते है हम सब के नैना, कपोलो पे जल धारा बहती है !घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, बिटिया जब याद तुम्हारी आती है !!
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—:: डी. के. निवातिया ::—
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Bahut hi sundar rachna…. Nivatiya ji…..
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का कोटिश धन्यवाद ANU Ji.
बेहद खूबसूरत रचना है आपकी ।
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का कोटिश धन्यवाद AJAY.
Heart touching poetry sir
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का कोटिश धन्यवाद RAJEEV.
Behad bhaavuk……………
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का कोटिश धन्यवाद SHISHIR JI.
Bahut hi behtareen…… Rachna… Nivatiya ji
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का कोटिश धन्यवाद KAJAL…!
bhauk kar gai nivatiya ji………………..sundar…..
रचना आप के हृदय तक पहुंची लेखन सार्थक हुआ , आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का कोटिश धन्यवाद MADHU Ji.
Waahhhhh…बहुत कुछ कहना चाहता पर नहीं कह पा रहा…कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है इन भावनाओं के आगे… रूह में जो उत्तर जाए ….क्या कहा जाए….शब्द विहीन हूँ….ऐसी बेमिसाल रचनात्मक्ता के आगे…ऐसे दृश्य के आगे…. यह बेटी के माँ बाप ही जानते हैं न तो घर रख सकते न अपने से दूर देख सकते…..इस से कठिन परीक्षा और कोई नहीं है दिल की…. नमन आपको….जय हो…..
BABBU Ji………आपने रचना को ह्रदय से ग्रहण किया आपकी प्रतिक्रिया के माध्यम से अहसास हुआ….आप जो कहना चाहते है वो हमे महसूस हुआ ….लेखन तभी सार्थक होता जब पाठक प्रेमी के ह्रदय तक पहुंचे ………..आपकी इस अनवरत और अमूल्य प्रतिक्रिया का ह्रदय से आभारी हूँ … इस उत्साहवर्धन के लिए कोटि कोटि धन्यवाद आपका !
Nivatiya ji , bahut khubsurati se yatharth ka marmik akan kiya hai aapane . taarif ke liye shad kam padate hain jitani karo kam hai . atyant sundar rachana .
MEENA JI….आपने रचना को ह्रदय से ग्रहण किया आपकी प्रतिक्रिया के माध्यम से अहसास हुआ, इस उत्साहवर्धन के लिए कोटि कोटि धन्यवाद आपका !
मार्मिक वर्णन
करूण दृश्य का अवलोकन….
कोटि कोटि धन्यवाद आपका AALOK !
Sir,
Bhaavuk kar gyi aapko panktiya, …..shabd vihin ho gya gun……. Naman aapko soch ko aapke vichaaro ko !
उत्साहवर्धन के लिए कोटि कोटि धन्यवाद आपका SHYAAM !
Sir, me bhi ek beti hu….mere dad kbhi kisi ki vidai nhi dekhte..kyuki wo jante h ki ek din unhe meri vidai krni hai…ye poem meri aakho ko nam kar gyi….har shabd me pita or parivar ka dard or dukh prakashit ho rha hai…or ye me bohot hi acche se samajh skti hu…truly adorable poem hai sir…
आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद चंचल ……..रचना के भावो को आपने समझा आपके ह्र्दयतल तक पहुंची लेखन सार्थक हुआ …आपके इस स्नेह का बहुत बहुत धन्यवाद !!
बहुत सुन्दर और प्रेरणादायक
आपके इस स्नेह का बहुत बहुत धन्यवाद !!
प्रिय डी के जी इससे सुंदर रचना मैंने आजतक नशि पड़ी ये कविता सीधा दिल मे उतर जाती है
मेरे 3 बेटियां है और तीनों को बडे मन-जतन-और गर्व से बड़ा किया है आपकी कविता पड़ते ही सुन्न हो गया हूं उनसे बिछड़ने के डर से सच मे यार सैलूट है बेटियों के ऊपर और नई रचनाओं का ििइंतजार कर रहा हू
रचना आप के हृदय तक पहुंची लेखन सार्थक हुआ , आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का कोटिश धन्यवाद …सुरेश योमार JI.
बेटी विषय पर मेरी और भी रचनाये है आप उन्हें नज़र कर सकते है ………” मुझको मेरा हक़ दो ” नामक शीषर्क को नजर करे आपको अलग अनुभूति प्राप्त होगी !!