मैं भी बच्चा तू भी बच्चा,कैसा है ये जीवन कच्चा !!मैं पढते-पढते थक जाता,वो काम कर भी न थकता,मैं तरह-तरह का खाना खाता,वो सूखी रोटी से ही पेट भर जाता !!मैं भी बच्चा तू भी बच्चा,कैसा है ये जीवन कच्चा !!मैं तो पढ़ कर सो जाता,वो अपने ख्बाब सजाता !!मैं सुबह उठ कर चाय मांगता,वो सुबह उठ थेला ले कूड़े के ढेरो पर जाता,मैं भी बच्चा तू भी बच्चा,कैसा है ये जीवन कच्चा !!मैं तैयार हो स्कूल को जाता,और वो पेट भर खाना जुटाता !!मैं भी कहूं कैसी ये सोच,उस गरीब को न कोई पास बुलाता !!मैं बच्चा तू भी बच्चा,कैसा है ये जीवन कच्चा !!मदद करो इनकी गुरसेवक कहता,फिर ही होगा ये जीवन सच्चा !!प्रकाश सत्यार्थी जैसे लोगो से ही,बचपन होता बच्चों का पक्का !!अरे! मैं भी बच्चा तू भी बच्चा,कैसा है ये जीवन कच्चा !!तेरा-मेरा फरक मिटा दें,बच्चो को हम इन्साफ दिला दें !!अरे! मैं भी बच्चा तू भी बच्चा,कैसा है ये जीवन कच्चा !!~गुरसेवक सिंह पवार जाखल
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aapkee soch aachchi hai. apne photo ke sthaan par rachnaa par focus karenge to achcha hoga.
ok sir tnx a lot
sundar bhav apke……………………………………
Bahut khoob……..