जब आये ऋतुराज बसंत —डा श्याम गुप्त का गीत …..जब आये ऋतुराज बसंत ||आशा तृष्णा प्यार जगाए ,विह्वल मन में उठे तरंग |मन में फूले प्यार की सरसों,अंग अंग भर उठे उमंग |जब आये ऋतुराज बसंत ||अंग अंग में रस भर जाए,तन मन में जादू कर जाए |भोली, सरल गाँव की गोरी,प्रेम मगन राधा बन जाए |कण कण में ऋतुराज समाये ,हर प्रेमी कान्हा बन जाए,ऋषि मुनि मन भी डोल उठें, जब-बरसे रंग रस रूप अनंत |जब आये ऋतुराज बसंत ||
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
bahut hi sunder geet sir……
Shyamji……आपका नाम ही मिठास भर देता है……फिर गीत क्यूँ न भरे भला……बताओ…..बेहद ही सुन्दर…..मीठा…..
Ati sundar srijan …..
sundar git……………………………….
…..
.
Lovely creation…………..बसंत ….राधाकृष्ण के मधुर प्रेम का धोतक है !
Beautiful creation……………………………