तुम ही मुझको बतलाओ,छोड़ कहाँ मैं तुमको जाऊ,,रूठ गये हो तुम तो मुझसे, फेर मुँह बैठ गये चुप से,,बोलो कुछ तो बोलो तुम,छोड़ो गुस्सा चलो तुम्हे गीत सुनाऊ तुम ही मुझको बतलाओ,छोड़ कहाँ मैं तुमको जाऊ,,न करो देखो तुम मनमानी,बह जायेगा मेरी आँखों से पानी,,हुई भूल अनजाने में मुझसे,बोलो कैसे मैं तुमको समझाऊ,,तुम ही मुझको बतलाओ,छोड़ कहाँ मैं तुमको जाऊ,,देखो दिल ना मेरा तोड़ो,साथ न तुम मेरा छोड़ो,,फिर न होगी गलती मुझसे,समझ नहीं आता कैसे तुमको रिझाऊ,,तुम ही मुझको बतलाओ,छोड़ कहाँ मैं तुमको जाऊ,,मनिंदर सिंह “मनी”
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bhut khoobsurat mani ji…………………..
Very nice creation Mani ji .
Maninder, Lovely song but you can improve its rhyming further
Very nice………….
Beautiful………writing well …बहुत खूबसूरत मनी ह्रदय के भाव रचना में बहुत उभर कर आ आये है ……..!!
बस शब्दो के सही तालमेल और लय के साथ क्रमबद्ध कर गीत को सजाया जा सकता है,….आप ही के शब्दो को एक मुखड़े में आपके भाव के अनुसार बिठाने की ना काम सी कोशिश की है….जरा गौर फरमाईयेगा….
देखो मेरा दिल ना तोड़ो,
साथ मेरा तुम ना छोड़ो,,
फिर न होगी ऐसी गलती
समझ ना पाऊं, तुम्हे कैसे रिझाऊ,
अब तुम ही बताओ, तुमसे बिछड़कर कहाँ में जाऊ,,,
bahut sundar….Nivatiyaji…Madhukarji…ke vichaaron pe gour farmaayeaga….
Very nice……………………………….
Bahut khub…… Mani ji