तुम लौट कर नहीं आये….सांसें आ जा रही थी…प्राण नहीं आये….तुम लौट कर नहीं आये…..शरीर निर्जीव हो गया है मेरा…प्राण हैं की इंतज़ार में….आँखों में आ फांसी पे हैं लटके…आस में हैं फिर भी…शायद तू आये…बेबसी…लाचारी क्या होती है…मेरी आँखों में देखना तुम…इंतज़ार की इन्तेहा….प्यार में पल पल तड़प के…जीने का नशा…सब देखना तुम…उनमें बदलते मौसम की तरह…अपनी तस्वीर भी देखना तुम…देखना ज़रूर तुम आ के….नहीं तो आँखें बंद नहीं होंगी…और राज़ तेरा खोल देंगी….इसलिए….तुम आना ज़रूर…\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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Atyant sunder bhaavon ko piroya hai aapne……………………………
बहुत बहुत आभार आपका…Vijayji……
Behad khubsurat rachana ……………,
बहुत बहुत आभार आपका…..Meenaji…..
Bahut sundar rachna…..
बहुत बहुत आभार आपका…..Anuji……
Heart pain for the loved one has come out really well. Lovely write Babbu ji with a different style.
बहुत बहुत आभार आपका……Madhukarji……
Lovely BAbbu Ji…..ह्रदय के पट खोलकर रख दिए …………विरह वेदना, इंतज़ार, बेबसी सब कुछ समेट दिया आपने ….बेहद खूबसूरत !!
बहुत बहुत आभार आपका……Nivatiyaji…….
Bahut sunder…………!
plz read बीता जाता है ये जीवन
बहुत बहुत आभार आपका……Summitji……
khoobsurat rachna………. Sharma sir………..
बहुत बहुत आभार आपका…madhuji………
Very nice sir….
बहुत बहुत आभार आपका…anandji……