खुशियों के माहौल में जन्माहर कोई मुझे खिलायासबकी चाहत बन जाताकभी रोता तो कभी हस्ताफिर उसी में रम जातामाँ कि लोरिया सुनतेमेरा बचपन यु ही गुजर जाताजब से जन्मातब से मैंने मौत का दामन थामागर्व से इठलाता, यौवन परन जाने समझता समझदारचंद रुपयों की चाह मेंईमान लगाता दाँव परयहाँ रिश्ते बनते बिगड़ते हैफस गया रिश्तों के जाल मेंआख मिचौली करता, खुद सेउलझ कर रह गया माया जाल मेंयह जवानी बीती जातीजब से जन्मातब से मेने मौत का दामन थामाहाथ जोड़, में खड़ा शांत मन सेजीवन बीत रहा है यादों सेधुंधली है यादेंमस्तिष्क थक चुकाकमर झुक गई हैबुढ़ापा खड़ा सामनेयही लाचारी, यही नियति हैमनो माहौल बदल सा गया हैजब में जन्मातब से मेने मौत का दामन थामामैं क्यों भूल जातामें जन्मा, बिछड़ ने के लिएये रिश्ते नाते छलावा हैन शरीर तुम्हारा, न तुम शरीर केमें क्यों नहीं समझतामौत सत्य है जीवन काजब से में जन्मातब से मेने मौत का दामन थामाएक सत्य है इसके अलावामें सिर्फ और सिर्फ आत्मा हुमे भिन्न हु जन्म मरण सेमे आत्मा मात्र आत्मा हुऔर कुछ नहीं………..और कुछ नहीं………..
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
satya ki pahchaan mein khoobsoorat bhaav…………
very nice creation………………….!!
nice sumit ji…………………………….