जाने किस दर्द-दंश से रोष दिखाता है समीर अंग-अंग को कम्पित करता तन में पहुंचाता है पीर.चौंक कर गिरते पीले पल्लव कलियों को देता झकझोर नीड़ के अन्दर उधम मचाता विहग-बालिके करती शोर.पशु ढूंढते छिपने का ठौर कांपते जन जलाते अंगार शिथिल चरण से बच्चे बैठे करुण स्वर से रहे पुकार.छलकी पलकों से कराहती जिसका नहीं है घर संसार तारों भरी नीरव रातों मेंजब जीवन जाता है हार.गोधूली नभ के आँगन में तिमिर का बढ़ता हाहाकार निष्ठुर पागल सा दीखता है बेदर्द ये मतवाला संसार.
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
bhut sundar kavita bharti ji………..he mata mahamaya padhkar kripya apna bahumulya pratikriya de.dhnyawad.
Ritu varnan bahut sundar kiyaa hai Bhaarti ji. Shabd saranchnaa bhi behtreen hai.
laajwaab…………..
Ati sunder………………………………..