यदि जीवित रहूँ माते, तेरा ही श्रृंगार करूँअर्पण करूँ सर्वस्व तूझे, हर त्याग से सत्कार करूँ;हो त्याग ऐसा वीरों सी, कलुषित विविध विकार हरूँ पुष्पित – पल्लवित कर दूँ पुण्य धरा को, मंगलमय पुकार करूँ !निश्चय आज प्रबुद्ध जन मौन, कैसे सत्य विचार धरूँवनिताओं- वृद्धों को निर्भय कर दूँ , प्रयत्न पूर्ण प्रकार करूँहर व्यथा- कथा मिटती रहे, महात्माओं का आभार करूँपुष्पित- पल्लवित कर दूँ पुण्य धरा को, मंगलमय पुकार करूँ !समरसता अब खो चुकी , न्याय – धर्म की धार धरूँज्ञान- विज्ञान में पहुँच रहे, सदा रक्षा में बारंबार मरूँधरणी को सींचित कर श्रुति स्नेह से, सुंदरतम् व्यवहार करूँपुष्पित- पल्लवित कर दूँ पुण्य धरा को, मंगलमय पुकार करूँ !अरि बहु दीखते आज मही पर, त्वरित तार- तार करूँप्रखर तेज द्विजों का दीप्त , सत्कर्मों का सारा सार धरूँजन तप्त हुए अत्यधिक द्रोह से, द्रोहियों का भाग्य क्षार करूँ;पुष्पित-पल्लवित कर दूँ पुण्य धरा को, मंगलमय पुकार करूँ !अखण्ड भारत अमर रहे !वन्दे मातरम् !जय हिन्द !©कवि आलोक पान्डेय
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khoob……………alok ji…………………
he mata mahamaya padhe aur apna pratikriya de.
of course………..
MADHU didi a lot of thanks…….
Atyant khoobsoorat uttam shabd saranchnaa se yukt behtreen rachnaa………….
MADHUKAR BHAIYA a lot of thanks…..
laajwaab…………..
thankfully i am !…….sir…
very heartful ……warmly
…a lot of thanks Madhu didi….
very heartful ……warmly
…a lot of thanks all of you…….