न जाने क्यों मेरे साजन तुम याद बहुत अब आते हो बंद करूँ मैं आँखें तब भी तुम मुझको दिख जाते हो ,न जाने क्यों,,,,,,,धड़कन में मेरी गूँज रही हैंजो बातें तुम मुझसे कहते थेअक्षर बनकर सब सम्मुख है जिस भाव में हम -तुम बहते थे कलम उठाऊँ जब भी मैं मेरी कविता तुम बन जाते हो बंद करूँ मैं आँखें तब भी तुम मुझको दिख जाते हो ,न जाने क्यों,,,,,,,एक लम्हा भी जो साथ रहें हमजीवन पूरा जी लेते थे मेरी खुशियाँ मुस्कान तेरी थी ग़म तेरे ,आँखों से मेरी बहते थेजब सोंचूँ तुम दूर हो मुझसे मेरी साँसें तुम बन जाते होबंद करूँ मैं आँखें तब भी तुम मुझको दिख जाते हो ,न जाने क्यों,,,,,,,हर सुबह का सूरज मन में मेरे आशाओं का दीप जलाता है तुम आओगे मुझसे मिलने यह प्रेम संदेशा दे जाता है सांझ की लाली नभ पे छाई जबतुम बनके चाँद मेरे आ जाते हो बंद करूँ मैं आँखें तब भी तुम मुझको दिख जाते हो ,न जाने क्यों,,,,,,,हर ख़्वाब है रौशन तुमसे ही अब आँख खुले तो तुम ही सम्मुख तुम ही खुशियाँ ,तुम ही दुनियाअब तुम ही मेरे जीवन का सुखनज़रें मेरी खोजे तुमको और तुम धड़कन में मेरी छुप जाते होबंद करूँ मैं आँखें तब भी तुम मुझको दिख जाते हो ,न जाने क्यों,,,,,,,!!!सीमा “अपराजिता “
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Marvellous write Seema ji. I am speechless on this excellent work.
बहुत – बहुत धन्यवाद आपका शिशिर जी ,,,,
bhut khoobsurat seems Ji……
…..
Thanku madhu ji
bhut badiya………………………………………..
plz read both poem
सफलता का पैमाना नहीं होता
जिंदगी
Thanku so much sumit ji..
Seemaji……..जैसे मधुकरजी ने कहा….मैं भी निशब्द हूँ….बहुत ही सुन्दर शब्दों में भावों को पिरोया है…..बेहतरीन…. आप कृप्या औरों की रचनाओं पर भी अपनी प्रतिकिर्या दीजिये…
बहुत -बहुत धन्यवाद आपका
speechless….creativity…………………your works is fabulous with impressive wording.
बहुत -बहुत आभार आपका ,,,,
Ati sunder………………………………..