खाली है कुछ पन्ने जिंदगी केकलम की काली स्याही सेहर रोज भरता हु इन पन्नो कोफिर भी खाली है पन्नेहर रात उठता हु सौ करसुबह के इंतजार मेंसोचता हु करूँगा सपने पुरेएक नया आयाम दूंगाफिर व्यस्त हो जाता हुजिंदगी की राह मेबस कट रही है जिंदगीखुशी के इंतजार मेंबेमानी सी है जिंदगीमें जिये जा रहा हुहम खुश होते है तोमनोहर है जिंदगीहम दुखी होते है तोदोजख है जिंदगीमत जियो अधीनता मेंजियो स्वाधीन ता सेजियो मुसकराहट सेजिंदगी आपकी हैतो जियो अपने ही अनदाज मेंजिंदगी हाथ में रखी रेत के समान हैजो पल पल फिसल ती जा रही हैजिलो ये जिंदगी हस करऔर मुस्कुराकरकब ये शाम ढल सी जाएमें दुआ मांगता हुइस दिल की गहराही सेये जिंदगी किसे के काम आ जाएइस उमीद में जिये जारहा हुयही जिंदगी का फलसफा है
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Nice thought……………..!
sahi kaha apne sumit ji………..antim pankti mel nhi kha raharaha hai.negativity aa gaya hai.
ok i will change last para thank u……………………
khoobsoorat…………
Sundar rachna……Sumit ji…keep writing…keep revising your poem from time to time….