मैं जब पलटने लगी पन्ने ज़िन्दगी के किताब केउसमे लिखें मिले कुछ खट्टे कुछ मीठे पल हर तरह केफिर मैंने कुछ निश्चय किया………जो पाया मैंने ज़िन्दगी में वो काफी हैफिर जो नहीं मिला उसे क्यों याद रखूँ?खुशियों के पल इतने मिले मुझेफिर उदासी के दो पल को क्यों याद रखूँ?सुख के कितने हसीन दिन काटे हमनेफिर दुःख के कुछ पल को क्यों याद रखूँ?अपनो के मीठे बोल है मेरे पास फिरऔरो के तीखे शब्दो को क्यों याद रखूँ?अपनों से मिला प्यार और विश्वास मुझेफिर किसी के अविश्वास को क्यों याद रखूँ?मैंने किताब के पन्नो से बीती मीठी यादो को जियाऔर मेरी ज़िन्दगी में एक उसूल को अपना लियायाद रखो केवल वह पलजो खुशियां देबुरी यादो वाले सारे पलजेहन से मिटा दे। अनु महेश्वरी
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bhut khoob anu ji……..sahi kaha apne..
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Thank You, Madhu ji…..
Anuji………साकारत्मक…एवम जीने का सही तरीका….बहुत खूब…….
Thank You, Sharma ji…
Nicely written with positive thinking …..!
Thank You, Nivatiya ji….
Keene kaa achcha sabak…….
Thank You, Shishir ji…
bhut badiya………………………………………..
plz read both poem
सफलता का पैमाना नहीं होता
जिंदगी
Thank You, Sumit ji….
Anu ji very nicely written .
Thank You, Meena ji…